Hindi News : यहाँ हैं भूतों का पहाड़, रात को मोक्ष के लिए बाहर निकलती है आत्माएँ |
बिहार के गया को मोक्षधाम कहा जाता है, क्योंकि यहां पितरों को मोक्ष के साथ मुक्ति मिलती है, यही कारण है कि पितृपक्ष में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए भारी संख्या में पिंडदानी देश-विदेश से यहां आते हैं | इस दौरान 1, 3, 5, 7, 15 और 17 दिनों तक 54 वेदियों पर पिंडदान कर पितरों के लिए मोक्ष की इच्छा करते हैं |
यहाँ ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान प्रेतशिला के छिद्रों और दरारों से प्रेत आत्माएँ बाहर निकलती हैं और अपने परिजनों द्वारा किए गए पिंडदान को स्वीकार करके वापस चली जाती हैं | विष्णु पुराण के अनुसार, गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और वह स्वर्ग चले जाते हैं, प्रेतशिला वेदी के पास विष्णु भगवान के चरण के निशान मौजूद हैं, साथ ही इस वेदी के पास में पत्थरों में दरार है| गया स्थित 54 पिंड वेदी की सभी वेदियों पर तिल, गुड़, जौ आदि से पिंडदान दिया जाता है |
प्रेतशिला बिहार के गया शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में मौजूद है | यह हिंदुओं के लिए एक धार्मिक स्थल है, जहां वे पिंड दान करते हैं |यहाँ सदियों से चली आ रही यह एक परंपरा है, लोगों का विश्वास है की इस जगह पर पिंडदान करने के बाद आत्मायों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, पहाड़ी की चोटी पर भगवान यम को समर्पित एक मंदिर भी मौजूद है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मृत्यु के देवता का हैं, मंदिर का निर्माण शुरू में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने किया था, हालांकि अबतक कई बार इसका पुनर्निर्माण भी हो चुका है |