गुरु नानक देव का प्रसिद्ध नारा क्या था?
गुरु नानक जी (1469 -1539) को एक नए धर्म यानी सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है और वह सिखों के पहले गुरु थे |
गुरु नानक जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। नानक ने सिख धर्म में हिंदू और इस्लाम दोनों की अच्छाइयों का समावेश किया । हालाँकि, सिख धर्म केवल हिंदू धर्म और इस्लाम का संकलन नहीं है।
Sikh Dharm | Guru Nanak Ji Ki Aarti | गुरु नानक जी की आरती |
श्री गुरु नानक देव आरती ॥
धनासरी महला १ आरती ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
गगन मै थालु रवि चंदु दीपक
बने तारिका मंडल जनक मोती ॥
धूपु मल आनलो पवणु चवरो करे
सगल बनराइ फूलंत जोती ॥
कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती ॥
अनहता सबद वाजंत भेरी रहाउ ॥
सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ
सहस मूरति नना एक तोही ॥
सहस पद बिमल नन एक पद गंध बिनु
सहस तव गंध इव चलत मोही ॥
सभ महि जोति जोति है सोइ ॥
तिस कै चानणि सभ महि चानणु होइ ॥
गुर साखी जोति परगटु होइ ॥
जो तिसु भावै सु आरती होइ ॥
हरि चरण कमल मकरंद लोभित मनो
अनदिनो मोहि आही पिआसा ॥
कृपा जलु देहि नानक सारिंग
कउ होइ जा ते तेरै नामि वासा ॥
गगन मै थालु, रवि चंदु दीपक बने,
तारका मंडल, जनक मोती।
धूपु मलआनलो, पवण चवरो करे,
सगल बनराइ फुलन्त जोति॥
कैसी आरती होइ॥
भवखंडना तेरी आरती॥
अनहत सबद बाजंत भेरी॥